जिंदगी इम्तिहान लेती है… लोगों की जान लेती है, वहीं दोस्ती इम्तेिहान लेती है… दोस्तों की जान लेती है… वास्तव में मैं फिल्मी लेखन में ज्यादा रुचि रखता हूं लिहाजा इन दिनों मुझे दोस्ती बनाम दुश्मनी के बहुत सारे फिल्मी गाने एक साथ याद आ रहे हैं. जैसे कि शोले में जय-वीरू की जोड़ी का ये गीत- ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे… तोड़ेंगे दम मगर… तेरा साथ ना छोड़ेंगे… लेकिन ये गाना मानो इंटरवल से पहले का है… इंटरवल के बाद गाने के सुर बदल गए हैं- दोस्त दोस्त ना रहा… प्यार प्यार ना रहा… जिंदगी हमें तेरा ऐतबार ना रहा… या फिर अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का… यार ने लूट लिया घर यार का…
यहां ऐसा ही कुछ हुआ. ये कहानी भी ऐसी ही है. यार और यार के बीच खिंच गई तलवार. दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और स्पेसएक्स और टेस्ला के मालिक एलन मस्क पहले तो धरम-वीर की तरह गाते थे- सात अजूबे इस दुनिया में आठवीं अपनी जोड़ी... या फिर तेरे जैसा यार कहां… कहां ऐसा याराना… याद करेगी दुनिया तेरा मेरा अफसाना… लेकिन यकीन मानिए इस याराना का अब अपना ही अफसाना बन गया. अब अमेरिकी लोग गा रहे हैं- अफसाना लिख रहा हूं… ट्रंप-मस्क का, दुनिया को देने वाले टेंशन-दर्द का… अफसाना लिख रहा हूं…
‘द’ में सिमटा दुनिया का दर्द
इत्तेफाक देखिए दोस्ती शब्द ‘द’ से बनता है, दुश्मनी भी और इसी ‘द’ से बनता है दर्द. यानी दर्द दोनों ही हालत में कॉमन है. दोस्ती ज्यादा हो गई तो जुदाई में दर्द होता है, जब दोस्ती दुश्मनी में बदल गई तो यह दर्द और भी बढ़ जाता है. और जब दर्द हद से गुजर जाए तो वह दुर्दांत हो जाता है. जिसे ‘द’ से दवा की जरूरत होती है. यही ‘द’ से दुनिया की रीत है.हमारे बादशाह खान शाहरुख खान ने पहले ही गा दिया था- दिल में मेरे है दर्दे-डिस्को…
यकीन मानिए ये डिस्को भी एक प्रकार की दवा ही है. डिस्को अकेले में करें या ग्रुप में… कहते हैं- डिस्को करने से दर्द दूर होता है. सोचता हूं मिथुन दा और बप्पी दा ने अगर इसका आविष्कार न किया होता आज इस दर्द का क्या हाल होता. पूरा अमेरिका इन दिनों डिस्को कर रहा है और उस डिस्को की थिरकन से कई देश बदहाल हो रहे हैं.
दोस्ती-दुश्मनी का ये एपिक है
ये दो ताकतवरों की दोस्ती और दुश्मनी का एपिक है. ट्रंप ने प्रेसिडेंट बनते ही ऑर्डर्स की सेंचुरी लगाई. पहले तो दुनिया के कई देशों में टैरिफ और इमिग्रेशन पॉलिसी का हड़कंप मचाया लेकिन जब टैक्स वैक्स का मसला उल्टा तीर साबित होने लगा तो अपने ही दोस्त ने चुनौती देकर अपने ही घर में हड़कंप मचा दिया. सियासी टक्कर देने की भी ठान ली. अपनी पार्टी बनाएंगे- हम भी प्रेसिडेंट बन जाएंगे, ठीक है… वैसे निरहुआ इसे ठीक से गा सकते हैं.
एलन मस्क इरादा जता रहे हैं- ट्रंप एक बिजनेसमैन से प्रेसिडेंट की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं तो वो क्यों नहीं. मस्क ने आप स्टाइल में जनता का मूड भांपने का पत्ता भी फेंका. जनता कहेगी तो पार्टी बनाएंगे और चुनाव भी लड़ेंगे और टैक्स के नाम पर दुनिया में हड़कंप मचाने वाले ट्रंप की सत्ता उखाड़ फेंकेंगे. सत्ता तक पहुंचने-पहुंचाने में कितने खर्च होते हैं, उसका पहले ही अनुभव ले लिया है.
दुश्मन ना करे दोस्त ने जो…
कहां तो डोनाल्ड ट्रंप रूस-यू्क्रेन का युद्ध खत्म कराने के मिशन में जुटे थे लेकिन एक युद्ध अपने घर में ही शुरू हो जाएगा- ऐसा सोचा न था. अब इस युद्ध को कैसे खत्म करेंगे- दुनिया इस मुद्दे पर जमकर चुटकी ले रही है. दोस्त और दोस्त के बीच युद्ध छिड़ गया. एक-दूसरे पर बयानबाजी की मिसाइलें दागी जा रही हैं. अब दुनिया को सीजफायर का संदेश कैसे देंगे. कहते हैं दोस्त जब दुश्मन बन जाता है तो वह असली दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है. गाने याद हैं न- दुश्मन ना करे दोस्त ने जो काम किया है या फिर मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे… यकीनन ट्रंप और मस्क एक-दूसरे को अपनी भाषा में ऐसा ही कह रहे होंगे.
ये दोस्ती एक साझेदारी थीे
कहते हैं दोस्ती किसी के भी बीच हो सकती है लेकिन दुश्मनी तो हमेशा बराबरी वाली औकातों के बीच होती है. एक दुनिया का सबसे अमीर बिजनेसमैन है तो दूसरा दुनिया का सबसे ताकतवर सत्ताधारी. अलबत्ता, प्रेसिडेंट भी कभी बिजनेसमैन था जैसे कि हमारे यहां सास भी कभी बहू होती है. अब जबकि दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने भिड़ने ही वाले हैं तो समझना मुश्किल नहीं कि ये प्यार था या कुछ और था… ना उन्हें पता ना इन्हें पता… तो क्या ये सिर्फ व्यापार का कुसूर था.
वास्तव में वो दोस्ती ही क्या, जहां करार और व्यापार ज्यादा मायने रखते हों. दोस्ती तो दिल से होती है दौलत की दीवारों से नहीं, जैसे कि रोशनी चांद से होती है टिमटिमाते सितारों से नहीं. ट्रंप-मस्क की दुश्मनी ने दुनिया को बता दिया कि ये दोस्ती एक साझेदारी थी.